Pratiksha और patience से अनुकल फल की प्राप्ति होती हे
हम सब ज्यादा जो गलती करते हे वो Patience की बाबत में करते हे,अगर हम थोडीसी भी धीरज रखे और प्रतीक्षा करे तो अनुकूल फल की प्राप्ति होती ही हे.
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Gautama Buddha |
Lord Buddha एक बार घूम रहे थे तब उनको प्यास लगी, उन्होंने अपने शिष्य Aanand को पानी लाने को कहा, गुरु की आज्ञा को शिर आँखों पे चढ़ाकर वो पानी लेने गया लेकिन वहा पर थोड़ी देर पेहले निकली बैल गाडिओं की वजह से पानी पूरा खराब हो गया था, आनंद वापिश आया और कहा की पानी कोई और जगह से लाना पड़ेगा क्योकि वहा तो पानी ख़राब हो गया हे, Budhaa ने उससे कहा की पानी उसी झरने से लेके आओ, आनंद वापिस वहा पर गया लेकिन पानी वैसा का वैसा ही था, वह वापिस लोट आया, और तीसरी बार और चौथी बार भी ऐसा ही हुआ,बुद्ध ने जब पाचवी बार वही आदेश दिया तो आनंद को बुरा लगा लेकिन बुद्ध के आदेश को टालना शक्य न था उसने वहा पे जाके देखा तो उसकी ख़ुशी का कोई ठिकाना न रहा क्योकि उसने देखा के मिटटी और कचरा जो ऊपर तैर रहा था वो अब निचे बेथ गया था, Aanand ने स्वच्छ पानी देखते ही तुरंत भर लिया और बुद्ध के पास गया, आनंद द्वारा लाया हुवा पानी पीकर बुद्ध ने हस्ते हस्ते आनंद को कहा ये अपने Life जैसा ही हे, वास्तव में मानव जीवन रूपी जल को भी कुविचार के बैल प्रदूषित करते हे, ऐसी स्थितिमे हमे विचलित नही होना चाहिए, बल्कि झरने की जैसी Patience रखकर थोड़ी प्रतीक्षा करनी चाहिए थोड़ी देरमें सब ठीक ठाक जैसे तुम पात्र में पानी भरकर लाये वैसा हो जायेगा.
Keep Patience,it is very beneficial
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